रोहित यादव ( प्रतापपुर ) :- महिला एवं बाल विकास विभाग में लंबे समय से अधिकारी की अनुपस्थिति और विभागीय लापरवाही के चलते रेडी टू ईट, मध्यान भोजन और गर्म भोजन जैसी कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद हितग्राहियों तक नहीं पहुँच पा रहा है। इस विभाग में अधिकारी के स्थानांतरण के बाद से अब तक नियमित महिला बाल विकास अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है, जिसके चलते पूरा विभाग सिर्फ सुपरवाइजर और बाबू के भरोसे संचालित हो रहा है।
दो-दो जगहों का प्रभार लेकर अधिकारी उठा रहे हैं लाभ
महिला एवं बाल विकास विभाग में वर्तमान स्थिति यह है कि एक ही अधिकारी दो जगहों का प्रभार लेकर दोनों का लाभ उठा रहा है। इस कारण से प्रतापपुर ब्लॉक में करीब 450 आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित किए जा रहे रेडी टू ईट और मध्यान भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब है। ग्रामीणों ने शिकायत की है कि इस योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले पोषण आहार में पत्थर और अन्य खराब सामग्री पाई जाती है, जिसे इंसान तो क्या मवेशी भी खाने में कतराते हैं।
शासन की करोड़ों की योजनाओं पर हो रहा भ्रष्टाचार
छत्तीसगढ़ सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से गरीब और जरूरतमंद लोगों तक पोषण आहार पहुँचाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन, अधिकारियों और स्थानीय सुपरवाइजरों की मिलीभगत से इस योजना में जमकर लूट मची हुई है। रेडी टू ईट और अन्य पोषण आहार योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। शासन द्वारा भेजी गई करोड़ों रुपए की राशि सही जगह न पहुंचकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है, जिससे ग्रामीण हितग्राहियों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सुपरवाइजर और बाबू के भरोसे चल रहा है कार्यालय
महिला बाल विकास विभाग में अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण सुपरवाइजर और बाबू ही सारा काम देख रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि दो साल से अधिक का समय हो गया है लेकिन आज तक किसी महिला बाल विकास अधिकारी की नियमित नियुक्ति नहीं हुई है। इस कारण से कार्यालय में आई समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है और गंभीर शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
ग्रामीणों ने उठाई उच्च स्तरीय जांच की मांग
प्रतापपुर ब्लॉक में चल रही इस भ्रष्टाचार की घटनाओं से त्रस्त होकर ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि रेडी टू ईट योजना के तहत जो आहार मिलता है, वह खाने योग्य नहीं है। लोग इसे मवेशियों को खिलाने के लिए मजबूर हैं, लेकिन मवेशी भी इसे खाने में आनाकानी करते हैं। इस स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारियों से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने और नियमित महिला बाल विकास अधिकारी की नियुक्ति की मांग की है।
क्या कहता है विभाग?
महिला एवं बाल विकास विभाग के कुछ अधिकारियों का कहना है कि अधिकारी की कमी के कारण व्यवस्थाएँ बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। उनका कहना है कि जल्द ही इस मामले पर कार्रवाई की जाएगी और अनियमितताओं को समाप्त किया जाएगा। हालांकि, इस पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के भ्रष्टाचार की यह स्थिति समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्ग को उनके हक से वंचित कर रही है। सरकार द्वारा गरीबों के पोषण हेतु चलाई जा रही योजनाओं में हो रहे इस खुले भ्रष्टाचार पर अगर जल्द ही अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह विभाग अपने उद्देश्य से पूरी तरह भटक जाएगा। ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में जल्द से जल्द उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस विषय में महिला बाल विकास अधिकारी डीपीओ सूरजपुर रमेश साहू ने कहा कि मामले की कड़ी जांच करवाते के साथ में कार्रवाई की जाएगी, रेडी टू ईट सहित अन्य शासन की योजनाओं में निर्माण में अनियमित करने वाले पर कार्यवाही की जाएगी, और जल्द ही अधिकारी की पोस्टिंग प्रतापपुर में होगी।