जगजननी की आराधना के महापर्व नवरात्रि पर पूरा नगर सजधजकर माँ के भक्तों का स्वागत कर रहा है, वहीं दिन-प्रतिदिन मां के दरबार में भक्तों का रेला बढ़ता चला जा रहा है। इन भक्तों को यकीन है कि इस दरबार से कोई खाली नहीं लौटता। हाँ सच भी है मां अपने बेटों को खाली हाथ कैसे लौटने देगी !नगर का नवरात्रि मेला पूरे अंचल में मशहूर है। यहां दूर-दूर से माता के भक्तगण मॉं के भव्य दरबारों और मातारानी की मनमोहक छवि को देखने आते हैं। शाम होते ही गांव-गांव से उमड़ता भक्तों का मेला शुरू हो जाता है, जो रात 12:00 बजे मां के शयन के पश्चात धीरे-धीरे कम होता है। आरती के पश्चात माता के विभिन्न दरबारों से प्रसाद प्राप्त करने भक्तों की अपार कतार लगी होती है। वहीं प्रत्येक पांडाल में प्रसाद की विशेषता को लेकर होड़ लगी रहती है। कहीँ खीर चना हलवा तो कहीं खिचड़ी, कहीं पूडी-सब्जी और मिठाइयों का प्रसाद होता है। ऐसे में प्रतिदिन सैकड़ों सवामणी के प्रसाद का वितरण होता है।नवरात्रि के पावन पर्व पर प्रत्येक पंडाल में भव्य साज-सज्जा के अलावा गरबा भजन ऑर्केस्ट्रा तो कहीं जस गीतों की गूंज हो रही है। वहीं नन्हीं-नन्हीं बेटियों के लिए नृत्य और फैंसी ड्रेस का आयोजन भी किया जा रहा है, तो भक्तों के मनोरंजन के लिए बिजली के झूलों से सजा मीनाबाजार यहां आया हुआ है।