छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में जशपुर माडल के आधार पर उरांव समाज राष्ट्रीय स्तर पर अपना संगठन तैयार करेगा। नई दिल्ली में आयोजित उरांव समाज के करमा महोत्सव में यह निर्णय लिया गया। उरांव समाज छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष उमेश प्रधान ने बताया कि करमा महोत्सव में छत्तीसगढ़ के साथ झारखंड, बिहार, ओडिशा, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और अंडमान निकोबार से उरांव समाज के प्रतिनिधि जुटे थे।
उल्लेखनीय है कि, इस महोत्सव में उरांव समाज का राष्ट्र स्तरीय संगठन तैयार करने सहित समस्याओं पर व्यापक स्तर पर चर्चा हुई। उरांव समाज के संगठनिक ढांचे पर विचार के दौरान उमेश प्रधान ने जशपुर में उरांव समाज के संगठन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें बताया कि जशपुर में उरांव समाज को संगठित करने का काम वर्ष 2019 में ही शुरू हो गया था। संगठन की बुनियाद गांव में रखा गया था।
जानकारी के अनुसार, ग्राम स्तर,ब्लाक स्तर और इसके बाद जिला स्तर का संगठन किया गया। इससे सामाजिक संगठन में गांव से लेकर शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले सभी लोगों को समान रूप से संगठन में शामिल होने का अवसर मिला। उन्होनें बताया कि उरांव समाज का मुख्य लक्ष्य समाज की समस्या गरीबी, अशिक्षा,बेरोजगारी को दूर करते हुए उरांव समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ पुरखों से चली आ रही संस्कृति, रूढ़ियों और परम्पराओं को संरक्षित करना भी है।
बता दें कि, विशेषकर उरांव संस्कृति और परम्पराओं से युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए जशपुर अंचल में गंभीरतापूर्वक काम किया जा रहा है। युवा पीढ़ी को जब तक संगठन से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक संगठन का भविष्य सुरक्षित नहीं रहेगा। संगठन के जशपुर माडल से देश भर के प्रतिनिधि मंडल प्रभावित हुए और इसी आधार पर,राज्य और राष्ट्र स्तर पर संगठन तैयार करने का निर्णय लिया गया।
▪️जाति आधारित होगा संगठन
फिलहाल, उमेश प्रधान ने बताया कि उरांव समाज का संगठन पूरी तरह से जाति आधारित होगा। इससे संगठन में अधिक से अधिक लोगों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलेगा। साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा जाति आधारित सामाजिक संगठनों को दिए जाने वाले विभिन्न प्रोत्साहनों का भी लाभ मिल सकेगा। जशपुर माडल की विशेषता ही यही है कि संगठन में शामिल होने के लिए उरांव जाति का होना ही पर्याप्त है।
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा