जशपुर:- शासकीय रामभजन राय एन ई एस स्नातकोत्तर महाविद्यालय जशपुर, के इतिहास विभाग के द्वितीय सेमेस्टर के छात्र छात्र-छात्राओं ने सोशल आउटरीच पाठ्यक्रम के अन्तर्गत आज जिले के पुरातात्विक स्थल ग्वालिग सरना का छात्र छात्र-छात्राओं ने अवलोकन एवं सर्वेक्षण किया।
यह स्थान जशपुर से कुसमी जाने वाले मार्ग में हर्राडीपा ग्राम के पास स्थित है। ग्वालिन सरना के प्राचीनतम मंदिर के अवशेष और वहां के शिवलिंग इस बात को उजागर करता है कि कभी यहां विशालकाय मंदिर रहा होगा। प्राकृतिक आपदा से यह मंदिर ध्वस्त हो गया होगा आसपास में बिखरे पड़े नक्काशीयुकत गुम्बज के टुकड़े और बहुतायत शिव लिंग इस बात को प्रमाणित करता है कि कभी यहां विशाल और भव्य मंदिर रहा होगा। आज भी लोग यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। छात्र छात्र-छात्राओं ने जब ग्रामीण लोगों से इस स्थान के बारे में जानकारी संग्रहित करने का प्रयास
किया तब लोगों ने बताया कि इस स्थान पर पहले धने जंगल और झाड़ियों की भरमार थी। सबसे पहले अहिर जाति के एक व्यक्ति यहां पर शिवलिंग को देखा और वह गांव में जाकर चर्चा की, इसके बाद से ही ग्रामीणों द्वारा पूजा अर्चना की जाने लगी। परन्तु कुछ समय बाद शिवलिंग को
अपने साथ ले गए थे।तब से पूजा अर्चना बंद हो गया था। लगभग 1960 के आसपास घरेलू आवश्यकता के लिए ग्रामीण बितना राम उसी स्थान पर लकड़ी काटते गया था,
तो उसने देखा कि उसी स्थान पर शिवलिंग निकल आया है तथा आसपास अनेक खंडित मूर्तियां हैं।इन सब चीजों को देखते ही ग्रामीणों ने वहां पहुंच कर पूजा अर्चना प्रारंभ कर दिया। आज भी वही स्थिति में मूर्तियां और शिवलिंग है। शिव रात्रि के दिन यहां पर मेला लगता है, लोग पूजा अर्चना करते हैं। छात्र छात्र-छात्राओं ने अनुभव किया कि यदि पुरातत्व विभाग द्वारा इस स्थान पर खुदाई कार्य