जशपुर/सन्ना :- छत्तीसगढ़ का जशपुर जिले में सबसे बड़ा पहाड़ी कोरवाओं के आवासीय क्षेत्र सन्ना को बारहमासी पक्की सड़क से जोड़ने का कार्य आजादी के 6 दशक के बाद भी अधूरा पड़ा हुआ है। इस सड़क को लेकर लंबे अर्से तक विवाद की स्थिति बनी रही।
फिलहाल, निर्माण कार्य में गड़बड़ी का मामला उजागर होने पर प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ निर्माण कंपनी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की थी।
इसके बाद तात्कालिन मुख्यमंत्री रमन सिंह के पंड्रापाठ प्रवास के दौरान अधर में लटके जशपुर-सन्ना सड़क निर्माण का कार्य पूरा करने के लिए अतिरिक्त राशि स्वीकृत करने के बाद डेढ़ साल पूर्व दूसरी बार निर्माण कार्य शुरू होने से लोगों को उम्मीद थी इस बार जशपुर जिले का सबसे खूबसूरत क्षेत्र पक्की सड़क से जुड़ जाएगा. लेकिन यह सपना एक बार फिर अधूरा रह गया है।
जानकारी के मुताबिक, तकरीबन 10 किलोमीटर की सड़क का निर्माण अब भी अधर में लटका हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक सड़क के इसी हिस्से को लेकर वर्ष 2015 में विवाद की स्थिति बनी थी. अधूरे पड़े इस सड़क निर्माण को पूरा करने के लिए विभाग द्वारा प्रदेश सरकार को भेजे गए रिवाइज्ड प्राक्कलन की पाइल को बेरंग वापस कर चुकी है। इस सड़क के पूर्ण होने को लेकर अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है.जिला मुख्यालय जशपुर से सन्ना की दूरी मात्र 52 किलोमीटर की है।
ज्ञात हो कि, इस क्षेत्र में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष संरक्षित पहाड़ी कोरवा जनजाति का मूल निवास है. सन्ना पहाड़ी कोरवा जनजातियों का सबसे बड़ा निवास क्षेत्र भी है। प्राकृतिक सौंदर्य के साथ दुर्गम पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरने वाले जशपुर सन्ना मार्ग के निर्माण का खेल पिछले 60 साल से अधिक समय से चल रहा है. सड़क के निर्माण के लिए टेंडर और कुछ दिनों के निर्माण के बाद ठेकेदार द्वारा काम बंद कर दिए जाने का सिलसिला साल दर साल चल रहा है।
बता दें कि, वर्ष 2015 में पंड्रापाठ क्षेत्र में पहाड़ी कोरवा लंबू राम की भूख से हुई कथित मौत के हाई प्रोपाइल मामले के बाद तात्कालिन मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने पंड्रापाठ में भाजपा सरकार की वर्षगांठ मनाने पहुंचे थे. यहां उनका ध्यान अधूरे पड़े हुए जशपुर सन्ना सड़क मार्ग की ओर आकृष्ट किए जाने पर तत्काल इसके लिए अतिरिक्त बजट आबंटित करने की घोषणा की थी।
फिलहाल, घोषणा पर अमल करते हुए प्रदेश सरकार ने राशि आबंटित कर दिया था. निविदा की प्रक्रिया पूरी कर क्लासिक कंस्ट्रक्शन कंपनी को 52 किलोमीटर सड़क निर्माण की जिम्मेदारी नए सिरे से दी गई. इस बार सड़क के नवीनीकरण और चौड़ीकरण का काम किया गया. लेकिन इन सारे कवायदों के बावजूद इस सड़क का निर्माण कार्य अधूरा रह गया. जशपुर से तकरीबन 31 किलोमीटर दूर हर्रापाठ से सोनक्यारी के बीच तकरीबन 10 किलोमीटर सड़क का निर्माण नहीं किया जा सका है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस हिस्से का निर्माण,निविदा प्रक्रिया में शामिल ही नहीं था। जिले का बगीचा और मनोरा तहसील,प्रदेश का सबसे बड़ा पहाड़ी कोरवाओं का निवास क्षेत्र है। पंड्रापाठ,सुलेसा,चुंदापाठ,हर्रापाठ जैसे क्षेत्र में बहु संख्या में पहाड़ी कोरवा निवास करते हैं. इन क्षेत्रों को जशपुर सन्ना सड़क जिला मुख्यालय से सीधे जोड़ता है. आवश्यकता पड़ने पर इसी मार्ग से इन क्षेत्रों में पहुंचा जा सकता है. स्वास्थ्य सेवा के लिए जिला चिकित्सालय की सहायता लेने के लिए भी इस क्षेत्र के लोगों के लिए यह सड़क जीवन रेखा से कम नहीं है।
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर