सिहावा पर्वत में विष्णु महायज्ञ हुआ संपन्न,दी दराज से निः संतान दम्पतिया महायज्ञ में होते हैं शामिल 

सिहावा पर्वत में विष्णु महायज्ञ हुआ संपन्न,दी दराज से निः संतान दम्पतिया महायज्ञ में होते हैं शामिल 

धमतरी जिले में सिहावा क्षेत्र सप्त ऋषियों के स्थल के नाम से जाना जाता है,,,वही सिहावा में स्थित महेंद्रगिरी पर्वत जहां महर्षि श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली है,,, महेंद्र गिरी पर्वत में ही महर्षि श्रृंगी ऋषि ने समाधि ली थी,,,आपको बता दें श्रृंगी ऋषि का सीधा संबंध त्रेतायुग के रामायण काल से है,,,कहते हैं कि ऋषि श्रृंगी ने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के पुत्रकामेस्ठी यज्ञ भी किया था फलस्वरूप राजा दशरथ को संतान की प्राप्ति हुई,,,जिसका वर्णन वाल्मीकि ने रामायण में भी किया है,,इनके नाम को लेकर यह भी कहा गया है कि सर पर सींग नुमा उभर होने के कारण इनका नाम श्रृंगी ऋषि पड़ा है,,,और उनके ही कमण्डल के जल से महानदी का उदगम भी हुआ है,,,।

 महेंद्रगिरी पर्वत में प्रति वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर तीन दिवसीय विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया जाता है,,,जिसमे अनेको निःसंतान दम्पत्तिया संतान की कामना को लेकर यज्ञ आहुति में भाग लेते है,,,बता दें यह विष्णु महायज्ञ में छत्तीसगढ़ से ही नहीं दूसरे राज्यों से भी निःसंतान दंपति अपनी मनोकामना को लेकर बाबा के पास आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं,,,इस विष्णुमहायज्ञ में प्रथम दिवस कलश यात्रा ,देव स्वागत, मण्डप पूजन व संत स्वागत किया जाता है,,,द्वितीय दिवस बुधवार को ब्रम्ह मुर्हूत में मकर स्नान, यज्ञ आहुति व महा आरती सम्पन्न होता है और अन्तिम दिवस को पूर्णाहुति ,संत बिदाई किया जाता है,,,बता दें श्रृंगी ऋषि बाबा के आशीर्वाद से सैकड़ो निः संतान दम्पत्तियों को संतान की प्राप्ति हुई है,,,।

क्लोजिंग एंकर- नगरी सिहावा का पूरा क्षेत्र सप्तऋषियों के पर्वतों से घिरा हुआ है,,,वही हम बाबा श्रृंगी ऋषि के पर्वत महेंद्रगिरी पर्वत की बात करे तो बहुत ही सुंदर आकर्षण का केंद्र भी है,,,सीढ़ियों से चढ़कर पर्वत के शिखर पर पहुंचने के बाद सिहावा के आसपास नजारा ही मनोरम रहता है,,,।